लिव-इन और डायन प्रथा को ‘सभ्य समाज के लिए पीड़ादायक’ बताया गया
लिव इन रिलेशन एवं डायन प्रथा से सबसे ज्यादा महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है
भगवान शिव ने ही महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए इस सृष्टि पर सबसे पहले विवाह प्रथा को स्थापित कर सबसे पहले महिलाओं को सम्मान दिया
लिव इन रिलेशन संस्कृति एवं डायन प्रथा का सभ्य समाज के लिए पीड़ा दायक है
जमशेदपुर:
प्रत्येक वर्ष 25 नवम्बर को ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है — यह दिन दुनिया भर में यह कठोर वास्तविकता उजागर करने के लिए समर्पित है कि अनेक महिलाओं को अपने जीवनकाल में शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ कि ओर से शहर के आसपास देहात क्षेत्र के स्कूल के बाहर अभिभावको के बीच जा जा कर लोगों को समझाया जा रहा है कि भारतीय सभ्यता संस्कृति को बचाने के लिए एवं भारत के प्राण धर्म का अपमान करने वाली व्यवस्था लिव इन रिलेशन का सैद्धांतिक विरोध जरूरी है ,हर बस्ती मोहल्ले में लोगों के बीच में यह चर्चा होना जरूरी है, इस व्यवस्था में सबसे ज्यादा पीड़ित युवतियां हो रही है लिव इन रिलेशन एवं डायन प्रथा से सबसे ज्यादा महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है । झारखंड में डायन प्रथा से प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में महिलाएं मौत की शिकार हो रही है ।भगवान शिव ने ही महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए इस सृष्टि पर सबसे पहले विवाह प्रथा को स्थापित कर सबसे पहले महिलाओं को सम्मान दिया।
लिव इन रिलेशन संस्कृति एवं डायन प्रथा का सभ्य समाज के लिए पीड़ा दायक है
क्योंकि इसका संबंध मानव जाति से है जब हम दुखी रहेंगे तो सृष्टि पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ।आज समाज में भोग विलासिता चरम सीमा पर है इस सृष्टि का सबसे उत्तम जीव मनुष्य है मनुष्य और पशु में इन्हीं सब वृत्तीयों के चलते कुछ अंतर होता है, परंतु हम समझ नहीं रहे और समाज को असभ्य बनाया जा रहा है। पशु वृद्धि के तरफ फिर वापस जा रहे हैं । हमको जिस कुव्यवस्था से भगवान शिव ने हम लोगों को निकाला था और विवाह प्रथा को स्थापित कर एक सभ्य समाज की स्थापना करने के लिए स्वयं पार्वती से विवाह कर स्थापित किया। सबसे प्रथम इस सृष्टि पर विवाह प्रथा को देने वाले भगवान शिव ही थे उसके पहले समाज अर्ध विकसित था और महिलाओं का कोई पहचान नहीं था उनसे जो बच्चे जन्म लेते थे उनके लिए कोई पहचान नहीं था मां ही उन बच्चों का भरण पोषण करती थी और महिलाओं का सबसे ज्यादा शोषण भगवान शिव के पहले होता था ।आज फिर से हमारी महिलाओं के साथ लिविंग रिलेशनशिप जैसी व्यवस्था लाकर उनका शोषण करने का तैयारी है
।जिस समाज में महिला का सम्मान नहीं है वह जड़वाड़ी समाज है ।युवा किसी भी समाज का मेरुदंड होता है अगर उस समाज का मेरुदंड ही भोग विलास में लिप्त हो जाए तो विनाश निश्चित है। लिविंग रिलेशनशिप व्यवस्था से आने से जड़वादिता संस्कृति स्थापित होने वाली है। एक तो हम में मेकाले की शिक्षा पद्धति से पहले से ही सत्या जा रहे इस शिक्षा पद्धति से भारत का प्राण धर्म बहुत कमजोर हुआ है। इससे उस सभ्यता का अपमान हो रहा है जो भारत का प्राण धर्म है। भगवान शिव ने ही विवाह प्रथा को स्थापित कर सबसे पहले महिलाओं को सम्मान दिया










