लिट्टीपाड़ा विधायक हेमलाल मुर्मू ने 217 करोड़ की लंबित पेय जलापूर्ति योजना का मामला सदन में उठाया, मंत्री ने दिया जांच का आदेश
पाकुड़। झारखंड विधानसभा में चल रही शीतकालीन सत्र में बुधवार को लिट्टीपाड़ा विधान सभा के विधायक हेमलाल मुर्मू ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पेंडिंग 217 करोड़ की पेय जलापूर्ति योजना का जोरदार तरीके से मामला सदन में उठा कर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। विधायक ने सदन को बताया कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में लिट्टीपाड़ा और अमरापारा ब्लॉक के लिए वर्ष 2017 में 217 करोड़ की लागत से जलापूर्ति योजना स्वीकृत हुई थी। उक्त योजना को 2020 में पूर्ण करना था। लेकिन 2024 तक उक्त योजना को पूरी नहीं की गई। पेयजल विभाग के अधिकारी एक्शन में आए बावजूद योजना पूर्ण नहीं हुई। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा बताया जा रहा है कि 70% काम हुआ है, लेकिन अब तक मात्र 40 प्रतिशत ही काम धरातल पर दिख रहा है। विधायक ने सदन में उक्त योजना की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद से की। विधायक के सवाल पर मंत्री ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि योजना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी। साथ ही विधायक ने राज्य में चल रहे जल नल योजना का भी मामला को उठाते हुए संथाल परगना पर फोकस करते हुए कहा कि अगर भौतिक रूप से सत्यापन योजनाओं की कराई जाए तो विभाग के प्रगति रिपोर्ट में काफी अंतर आएगा। कहा कि अब तक मात्र यहां 42% ही काम धरातल पर हुई है। उन्होंने संथाल परगना में गंगाजल पेयजल योजना से आच्छादित योजनाओं की जांच कराने की मांग करते हुए अपने अनुसूचित प्रश्न में लिट्टीपाड़ा और अमरापारा को गंगाजल पेयजल से आच्छादित की गई है या नहीं इस भी विभागीय मंत्री से जवाब मांगा है। विधायक हेमलाल के सवाल पर मंत्री ने उन्हें योजनाओं की सूची उपलब्ध कराने का आश्वासन सदन में दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लिट्टीपाड़ा जलापूर्ति योजना की दी थी स्वीकृति
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लिट्टीपाड़ा विधानसभा के उपचुनाव के पूर्व 2017 में खास तौर पर लिट्टीपाड़ा में पेयजल की समस्या को देखते हुए 217 करोड़ की पेय जलापूर्ति योजना की स्वीकृति दी थी। तत्कालीन पेय जल विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र कुमार सिंह को रघुवर दास ने लिट्टीपाड़ा में अपने चौपाल कार्यक्रम में लोगों द्वारा पेयजल की गंभीर समस्या बताए जाने पर बॉसलोई नदी से पाइपलाइन के द्वारा पेयजल आपूर्ति की सुनिश्चित कराने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर देने को कहा था। इसी क्रम में रघुवर दास ने 217 करोड़ की योजना की स्वीकृति दी। लेकिन विभागीय लापरवाही और एजेंसी की निकम्मेपन के कारण यह योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई है।










