घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन कि हुई बम्पर जीत ने एकबार फिर पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू का कद बढ़ा दिया है
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन कि हुई बम्पर जीत ने एकबार फिर पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू का कद बढ़ा दिया है। लक्ष्मण टुडू कि सक्रियता और आम मतदाताओं के बीच उनकी गहरी पैठ का फायदा झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन को उपचुनाव में मिला है। यही कारण भी है कि सोमेश चन्द्र सोरेन ने रिकॉर्ड 1 लाख 4 हजार 794 वोट हासिल कर भाजपा के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को 38 हजार 534 वोट से हराया है।
उल्लेखनीय है कि चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण पद और दायित्व चुनाव संचालन समिति के संयोजक का होता है। दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद रिक्त हुए घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि पार्टी सोमेश सोरेन को लेकर चुनावी वैतरणी कैसे पार लगाएं। पिता रामदास सोरेन के सक्रिय रहते सोमेश सोरेन ने घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में कभी सक्रिय होकर राजनीति नहीं किया था। ऐसे में सोमेश के लिए भी यह बड़ी चुनौती थी कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन के साथ ही भाजपा के नेताओं से किस तरह जूझते हुए सीट जीता जाएं। हालांकि झामुमो संगठन हमेशा से ही सोमेश चंद्र सोरेन के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा जरूर रहा लेकिन कार्यकर्ताओं को ना सिर्फ एकजुट रखने बल्कि सहयोगी दलों के नेताओं के साथ परस्पर सामंजस्य स्थापित कर चुनावी रणनीति को जमीन पर उतारने के लिए एक अनुभवी लीडरशिप कि जरूरत थी। पार्टी नेतृत्व ऐसे ही अनुभवी लीडर के हाथ में चुनाव संचालन कमिटी कि बागडोर सौंपना चाहती थी। पार्टी नेतृत्व या कहे कि सीएम हेमंत सोरेन ने इस पद के लिए सबसे उपयुक्त घाटशिला के पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू को माना जिन्होंने सालभर पूर्व ही पार्टी में शामिल होकर स्व रामदास सोरेन को भी रिकॉर्ड वोट से जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू को संयोजक बनाए जाने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के अंदर भी एक नया जोश आ गया था। शुरूआती दौर में भले ही झामुमो चुनाव में थोड़ी पिछड़ती दिखी लेकिन पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू के नेतृत्व में पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करती गई। लक्ष्मण टुडू वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा से घाटशिला विधायक बन चुके थे। ऐसे में उनके संबंध भाजपा में अभी भी बने रहने का फायदा उन्होंने पार्टी प्रत्याशी सोमेश सोरेन को चुनव में दिलाया। भाजपा में लक्ष्मण टुडू के करीबी माने जाने वाले पूर्व ग्रामीण जिलाध्यक्ष सौरव चक्रवर्ती, मुसाबनी के पूर्व मण्डल अध्यक्ष तुषार कांत पातर, सोशल मीडिया प्रभारी सुरेश महाली, घाटशिला मण्डल अध्यक्ष कौशिक कुमार, पूर्व मण्डल महामंत्री संजय तिवारी, एसटी मोर्चा के पूर्व जिला महामंत्री पोल्टू सरदार समेत पार्टी के कई नेताओं ने झामुमो कि सदस्यता ग्रहण कर लिया। भाजपा नेताओं के झामुमो में जाने से घाटशिला व मुसाबनी के शहरी इलाकों में पार्टी काफ़ी कमजोर हो गई जिसका सकारात्मक परिणाम रिजल्ट में पड़ा। शहरी इलाकों में भाजपा एवं झामुमो बराबर वोट हासिल करने में सफल रही जो भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन के रिकॉर्ड वोट से हारने और झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन के जीतने का बड़ा कारण बना। ऐसे में जाहिर है कि लक्ष्मण टुडू के झामुमो चुनाव संचालन कमिटी के संयोजक बनने से ना सिर्फ झामुमो घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में और मजबूत हुई है बल्कि भाजपा से जाने के बाद भाजपा कि सांगठनिक स्थिति और भी कमजोर हो गई है जो उप चुनाव के परिणाम से क्लियर है।










